रायपुर (प्रखर)। देशभर के किसान तीन में पिछले 60 दिनों से आंदोलनरत है। आन्दोलन का समर्थन करते हुए पंडरी स्थित भारतीय जीवन बीमा के सामने ट्रेड यूनियनों व महिलाओं ने एकजुट होकर मानव श्रृंखला बनाई। इस दौरान माकपा, सीटू , आरडीआईईयू महिला समिति व ट्रेड यूनियन कार्यकर्ता शामिल हुए।

प्रतिनिधियों ने कहा कि ये तीनों कृषि कानून व बिजली बिल 2020 की वापसी किसानों की पहली व सबसे अग्रिम मांग है। प्रधानमंत्री बेतुके दावे कर अंजान लोगों को गोलबंद कर रहे हैं और किसानों की न्यायोचित मांग पर जनता के बीच संदेह फैला रहे हैं। भारत सरकार ने खेती में निजी निवेशकों के मदद के लिए 1 लाख करोड़ रुपये आबंटित किये हैं और खुद निवेश करने को राजी नहीं हैं।
किसानों पर बढ़ेगा कर्ज और बढ़ेगी कालाबाजारी
इस दौरान सीटू के प्रदेश सचिव धर्मराज महापात्रा ने कहा कि, देश के किसान एआईकेएससीसी के नेतृत्व में कई सालों से 2.5 फीसदी के हर फसल के एमएसपी और हर किसान से खरीद तथा सभी किसानों, खेत मजदूरों, आदिवासियों की कर्जमाफी के लिए लड़ते रहे हैं, लेकिन इन्हें हल करने के लिए मोदी सरकार तीन अध्यादेश और बिजली बिल 2020 को लेकर आई जिससे सभी वर्तमान सुविधाएं व सुरक्षाएं समाप्त हो जाएंगी और एक कानूनी ढांचा कॉरपोरेट व विदेशी कम्पनियों के मुनाफे का बनेगा। इससे खेती की प्रक्रिया, लागत की बिक्री, मशीनरी, फसल की खरीद, भंडारण, परिवहन, प्रसंस्करण और खाने की बिक्री पर उनका कब्जा हो जाएगा। इससे किसानों पर कर्ज बढ़ेगा, आत्महत्याएं बढ़ेंगी, फसलें सस्ती होंगी, खाना मंहगा होगा और जमाखोरी व कालाबाजारी बढ़ेगी।
25 जनवरीत को निकालेंगे राजधानी में मशाल रैली
महापात्र ने बताया कि आन्दोलन के अगले चरण में 25 जनवरी को सभी संगठन द्वारा मशाल जुलूस निकाला जाएगा। इसके पूर्व सभी लोगों ने सुबह नेताजी सुभाष चंद्र बोस की प्रतिमा पर माल्यार्पण कर इस लड़ाई को मजबूत करने का संकल्प लिया।